इस आर्टिकल में :
1. बिजनेस का महत्व और संभावनाएं
- 90% भारतीय इस बिजनेस के बारे में नहीं जानते।
- अमेरिका, कनाडा, जापान में यह टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही है।
- 2030 तक भारत में 2 करोड़ नई बिल्डिंग्स की आवश्यकता होगी।
- यह बिजनेस पर्यावरण के अनुकूल और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित है।
2. प्रीफैब्रिकेटेड टेक्नोलॉजी क्या है?
- फैक्ट्री में बीम, पिलर, दीवारें और फ्रेम तैयार होते हैं।
- साइट पर इन्हें असेंबल किया जाता है, जिससे निर्माण समय और लागत कम होती है।
- आम घरों की तुलना में 10 गुना तेज और 30-40% सस्ता।
3. बिजनेस कैसे शुरू करें?
- सप्लायर बनकर:
- फैक्ट्री से प्रीकास्ट बीम, पिलर खरीदकर स्टॉक करें।
- कॉन्ट्रैक्टर्स और इंडस्ट्रियल एरियाज में लिंक बनाएं।
- इन्वेस्टमेंट: ₹8-10 लाख।
- प्रॉफिट: 25-40%।
- मैन्युफैक्चरर बनकर:
- बड़ी टीम, CNC मशीनरी और 10,000+ वर्ग फुट यूनिट की जरूरत।
- शुरुआती निवेश: ₹50-75 लाख (छोटे स्तर पर), ₹2-5 करोड़ (बड़े स्तर पर)।
4. बिजनेस की डिमांड और कस्टमर्स
- वेयरहाउस, फैक्ट्री सेटअप और कमर्शियल बिल्डिंग में ज्यादा डिमांड।
- ग्राहक: रियल एस्टेट डेवलपर्स, सरकारी आवास योजनाएं, इंडस्ट्रियल ठेकेदार।
5. मार्केटिंग रणनीतियां
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स: फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब।
- लीड जनरेशन: इंडियामार्ट और स्टार्टअप अथॉरिटी प्लेटफॉर्म।
- प्रोटोटाइप बनाकर ग्राहकों को दिखाना।
6. अन्य लाभ
- पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।
- मॉड्यूलर बिल्डिंग्स में गुणवत्ता की गारंटी होती है।
- निर्माण प्रक्रिया का समय 50% कम।
7. भविष्य का दृष्टिकोण
- भारत में इस इंडस्ट्री में अभी प्रतिस्पर्धा बहुत कम है।
- यह बिजनेस बड़े प्रॉफिट मार्जिन और ग्रोथ की संभावना देता है।
दिल्ली, मुंबई, पुणे, Bangalore पटना जैसे सिटी से मेरे पास लगातार कॉल आ रहे थे. लोग पूछ रहे हैं सर कोई ऐसा बिजनेस आइडिया बता दो जिस बिजनेस से बैठे-बैठे कमाई की जा सके जिस बिजनेस से आगे आने वाले समय में करोड़ों का धंधा क्रिएट कर सके .
तो आज दिल थाम के बैठना, क्योंकि आज जिस बिजनेस आइडिया के बारे में हम बताने जा रहे हैं यह पूरे भारत के 90% से ज्यादा लोगों को पता ही नहीं है लेकिन इसके पहले कि मैं इस बिजनेस में आगे बढूं, मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं,
अगर आप एक क्विक मनी स्कीम के तलाश में है, या फिर चाहते हैं कि आज पैसा डालो और शाम को पैसा डबल हो जाए, या फिर ख्याली पुलाव पकाने में ज्यादा मजा आता है तो यह बिजनेस आइडिया आपके लिए बिल्कुल नहीं तो आप यहां से स्किप कर सकते हो.
लेकिन अगर आपके पास एक विजन है, देश के अंदर नए दौर की शुरुआत करना चाहते हो, और विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ाने वाले एक बिजनेस अपॉर्चुनिटी के अंदर अपने आप को एस्टेब्लिश करना चाहते हो तो इस वीडियो को बिल्कुल स्किप मत करना, क्योंकि यह बिजनेस आज के समय में अमेरिका कनाडा चीन में रॉकेट के जैसे बढ़ रहा है.
यह न्यूज़ देखिए, महज 28 घंटे में चीन ने बना दी 10 मंजिला इमारत? क्या आप सोच सकते हो?
यह देखो, आज तक का रिपोर्ट है की डेढ़ दिन में चीन ने खड़ा कर दी 10 मंजिलाई इमारत? अब आपके दिमाग में यह बात आ रहा होगा कि यार उसने 500 मजदूरों को लगा दिया होगा उसने 10000 मजदूरों को लगा दिया होगा इसको तैयार करने के लिए?
लेकिन आपको क्या लगता है, क्या इसको 28 घंटे में तैयार किया जा सकता है 10000 मजदूर लगा करके भी ?
तो उत्तर है नहीं? क्योंकि एक लेटर को खोलने में 10 से 12 दिन लगते हैं, और जब तक उसमें मजबूती नहीं आती है उसके ऊपर लेटर अपना ही बना सकते, दीवार के अंदर मजबूती नहीं आएगी तो दीवार पर आप लेटर नहीं डाल सकते?
तो इतना जोर दिमाग पर मत डालो, इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक देखो क्योंकि आज की इस आर्टिकल में मैं इस पूरी की पूरी टेक्नोलॉजी का खुलासा करने वाला हूं और साथ में यह भी बताने वाला हूं कि कैसे इंडिया के अंदर आप इन चीजों को इंप्लीमेंट करके 30% खर्च को कम कर देंगे और अपने प्रॉफिट को 80% तक बढ़ा देंगे..और कैसे इस बिजनेस को शुरू किया जा सकता है
तो दोस्तों इस तरह की इमारत बनाने के लिए जी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है वह है मॉड्यूलर प्रीफैब्रिकेटेड तकनीक.
जिसका इस्तेमाल इंडिया के घरों में होता ही नहीं है, इन फैक्ट अगर मैं कहूं कि 90% लोग इसके बारे में जानते ही नहीं है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
लेकिन वही उल्टा अमेरिका और जापान में 80 परसेंट से ज्यादा घर इस नए मॉड्यूलर फैब्रिकेटेड तकनीक से बन रहा है.
नॉर्मल घरों के बनाने के कंपैरिजन में 10 गुना तेज बनते हैं और 30 से 40 परसेंट लागत कम आती है.
ये बिल्डिंग्स 100 फ़ीसदी इको फ्रेंडली होते हैं या नहीं इसको बनाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता हैऔर प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रहता है
जिन लोगों ने कभी भी घर या कोई बिल्डिंग के काम को ध्यान से देखा है तो वो इस प्रॉब्लम को अच्छे से समझ पाएंगे की इंडिया में एक घर बनाने के लिए कितने पापड बेलने पड़ते हैं.
ईंट, बालू , गिट्टी , सीमेंट , सरिया हर बार इन्हे मंगाने के लिए जूझना पड़ता है , रख रखाव करने से लेकर इनकी क्वालिटी और क्वांटिटी को मैनेज करना काफी टफ होता है.
इंडिया में एक आम आदमी को घर बनाने के लिए तन , मन, धन सबसे जूझना पड़ता है.
(अपना घर बनवाने का एक्सपीरियंस यहाँ जोड़ सकते हैं , जो प्रोब्लेम्स आपको आई , समय न मिल पाना , धुप में घंटों ठेकेदार के काम को मॉनिटर करना , रॉ बटेरिअल टाइम पे न आने का टेंशन , बारिश वगैरह भी )
इसी प्रॉब्लम को solve करता है हमारा आज का बिज़नेस ,इस बिज़नेस में बिल्डिंग के रेक्विरेमेंट के हिसाब से मॉडुलर फ्रेम्स को फैक्ट्री में बना लिए जाता है और कंस्ट्रक्शन साईट पे ले जाकर इनस्टॉल करना होता है.
साईट पे कंट्रक्शन का काम 50 फीसदी से भी कम रह जाता है, जिससे टाइम और पैसे दोनों की बचत होति है , साथ ही मशीन द्वारा कास्ट की गई फ्रेम्स में मजबूती और क्वालिटी की प्रॉब्लम भी नहीं आती।
आज इस वीडियो में मै आपको बताऊंगा की कैसे आप इस बिज़नेस में कदम बढ़ा सकते हैं और इस बुसिनेस को मैन्युफैक्चरर या डिस्ट्रीब्यूटर बन कर शुरू कर सकते हैं।
विजन बड़ा है, पोटेंशियल बड़ा है , आपको बता दूँ की 2030 तक भारत में 2 करोड़ से ज्यादा नए बिल्डिंग्स की जरूरत होगी, अब अगर आप एक ऐसी फैक्ट्री डाल देते हैं जिस फैक्ट्री में इस तकनीक का इस्तेमाल करके और घर बनाया जाता हो तो कितना बड़ा धंधा कर सकते हैं, मौका दुरुस्त है करने वाला इंसान चाहिए
अब जानते हैं कि यह मॉड्यूलर फैब्रिकेटेड बिल्डिंग्स होते कौन से?
दोस्तों मॉड्यूलर फैब्रिकेटेड बिल्डिंग्स वो होती हैं जिन्हे पूरे तरीके से या partially फैक्ट्री में तैयार किआ जाता है और construction site पे लाकर इंस्टालेशन की जाती है।
आम तौर पर पिल्लर्स, बीम, stairs और रेडीमेड दीवारों को फैक्ट्री में रिक्वायरमेंट्स के हिसाब से डिज़ाइन किआ जाता है.
और सबसे ख़ास बात
देखिए इसको फैक्ट्री में मॉडल्स या पैनल के रूप में तैयार किया जाताहै, और फिर जिस साइड पर इसको लगाना होता है वहां इसको पहुंचाया जाता है और फिर असेंबल कर दिया जाता है, अब आपके दिमाग में यह बात आ रहा होगा कि यह तो बहुत कमजोर होते हैं तो चलिए इस प्रोडक्ट का एक लाइव एग्जांपल बताता हूं अपने मेट्रो देखा है मेट्रो के अंदर पिलर्स सिर्फ बनाए जाते और उसके ऊपर का जोबाली होता है उसके ऊपर का जो बेस को फैक्ट्री में तैयार किया जाता है और फिर जहां-जहां जरूरत पड़ती है वहां लाकर के इंस्टॉल कर दिया जाता है और उसके ऊपर मेट्रो ट्रेन दौड़ती है वह भी पूरा लोड लिखेंतो क्या यह टूट जाता है नहींइसका मतलब यह हुआ कि यह एक उन्नत किस्म की टेक्नोलॉजी है जिसका उसे करके और फैब्रिकेटेड होम्स बनाया जाए तो यह भी उतना ही मजबूत होगा वह जितना कि नॉर्मल घर होते हैं
Modular Building बिज़नेस शुरू करने के लिए आवश्यकताएं
दोस्तों , अब क्युकी इस बिज़नेस में कम्पेटेशन बहुत काम है , इसे आप दो तरीके से कर सकते है:
- सप्लायर बन कर
- मैन्युफैक्चरर बन कर
अगर आप सप्लायर बन कर इस बिज़नेस को शुरू करते हैं तो फिलहाल के लिए ये एक सेफ साइड होने वाला है, आप चाहे तो प्रीकास्ट बीम , पिलर , वाल्स को अपने पास स्टॉक कर सकते हैं.
बरैली, दिल्ली , मुंबई , पुणे , बेंगलुरु, लखनऊ , पटना जैसे शहरों में आलरेडी इसके मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और फक्ट्री सेटअप हो चुकी है जिनसे कांटेक्ट कर के आप इसका बिज़नेस सेटअप कर सकते हैं.
कमेंट कर के ज़रूर बताएं की आप किस शहर या राज्य में इस बिज़नेस को शुर करना चाहते हैं.
दोस्तों जैसा की हम सभी जानते हैं की कंस्ट्रक्शन से रिलेटेड बुसिनेस्सेस के लिए हमे अच्छे खासे जगह की जरूरत पड़ती है, इस बिज़नेस के लिए भी आपको कम से कम 1000 स्क्वायर फिट स्पेस की ज़रूरत होगी।
वहीँ अगर बात करें इन्वेस्टमेंट करें तो आप 8 – 10 लाख के इन्वेस्टमेंट से इस बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं. मार्किट में ये प्रोडक्ट्स किलो के हिसाब से या लेंथ के हिसाब से बिकते हैं.
जहाँ प्रीकास्ट बीम की शुरुआत 20 रुपये किलो या 250 रूपए/लेंथ से शुरू हो जाती है वहीँ इनकी कीमत अलग अलग रेक्विरेमेंट और डिज़ाइन के हिसाब से बढ़ती रहती है.
इन प्रोडक्ट्स को बेचकर आप बड़ी ही आसानी से 25 से 40 परसेंट तक का प्रॉफिट कमा सकते हैं
फिलहाल इन प्रोडक्ट्स की रेक्विरेमेंट वेयरहाउस बनाने के लिए ,फैक्ट्री सेटअप , और कमर्शियल बिल्डिंग में ज्यादा है और आपको कॉन्ट्रैक्टर्स , ठेकेदार, और इंडस्ट्रियल एरियाज में लिंक बनाने होंगे जिससे आपको आसानी से आर्डर मिलने शुर हो जाएंगे।
इसके अलावा आप बैनर advertisement, डिजिटल एड्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सप्प, यूट्यूब का सहारा भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो स्टार्टअप अथॉरिटी और indiamart जैसे प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले क्र भी अपने बिजनेस को आसानी से ग्रो कर सकते है.
मैन्युफैक्चरर बन कर
अगर आप बड़े स्केल पे इसकी मैन्युफैक्चरिंग करना चाहते हैं तो आपको एक बड़ी टीम जिसमे स्स्ट्रक्चरल engineers, सेल्स टीम , स्किल्ड वर्कर्स , और बड़ी कैपिटल और स्पेस की की ज़रूरत होगी साथ ही आपका कंस्ट्रक्शन लाइन में 5 -10 साल का एक्सपीरियंस होना स्वाभाविक है.
इसके अलावा इंडस्ट्री में आपके अच्छे कनेक्शन होना भी जरूरी है.
1. निवेश
- छोटे स्तर पर: ₹50-75 लाख।
- बड़े स्तर पर: ₹2-5 करोड़।
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर
- 10,000+ वर्ग फुट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट।
- CNC मशीनें (सटीक कटिंग के लिए)।
- मैटेरियल स्टोरेज और असेंबली लाइन्स।
3. कच्चा माल
- हल्के वज़न वाले कंक्रीट पैनल।
- इंसुलेटेड वॉल पैनल।
- स्टील और एलुमिनियम।
- बांस या लकड़ी के मिश्रण से बने उत्पाद।
4. मैनपावर
- स्ट्रक्चरल इंजीनियर।
- असेंबली और फिनिशिंग के लिए कुशल श्रमिक।
- मार्केटिंग और सेल्स के विशेषज्ञ।
स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया
- मार्केट रिसर्च और डिज़ाइन:
विभिन्न क्षेत्रों में मॉड्यूलर होम्स की मांग का अध्ययन करें और कस्टमाइज़ डिज़ाइन बनाएं। - प्रोटोटाइप तैयार करें:
अपनी क्षमता दिखाने के लिए 2-3 नमूना घर बनाएं। - मैन्युफैक्चरिंग:
फैक्ट्री में मॉड्यूल्स और पैनल्स को तैयार करने के लिए उन्नत मशीनरी का उपयोग करें। - साइट पर असेंबली:
तैयार मॉड्यूल्स को साइट पर ले जाकर हफ्तों में असेंबल करें। - मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन:
रियल एस्टेट डेवलपर्स, सरकारी आवास योजनाओं, और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर चैनलों को टार्गेट करें।
भारतीय बाजार में संभावनाए
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी सरकारी योजनाओं से बड़ी मांग।
- कॉर्पोरेट सेक्टर: शहरी क्षेत्रों में मॉड्यूलर ऑफिस स्पेस की बढ़ती लोकप्रियता।
- ग्रामीण विकास: ग्रामीण और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित आवास समाधान।
लाभ और विकास की संभावनाएं
- एक मॉड्यूलर प्रीफैब होम पारंपरिक निर्माण की तुलना में 30-40% कम लागत पर तैयार होता है, जिससे अच्छा मुनाफा मिलता है।
- तेज़ असेंबली का मतलब अधिक परियोजनाओं को कम समय में पूरा करना।
- दक्षिण एशिया और अफ्रीका के देशों को निर्यात करने का भी बड़ा अवसर।
लॉन्ग-टर्म विजन
उभरती रियल एस्टेट लागत और टिकाऊ जीवनशैली की मांग के साथ, मॉड्यूलर प्रीफैब्रिकेटेड होम्स भारत में आवास के क्षेत्र को फिर से परिभाषित कर सकते हैं। इस अभिनव उद्योग में अग्रणी बनें और भविष्य के लिए किफायती, टिकाऊ और मजबूत घर बनाने की दिशा में एक नया अध्याय लिखें!
सप्लायर्स की लिस्ट
महाराष्ट्र:
- E-Pack Polymers Pvt. Ltd.
प्रीफैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर्स और मॉड्युलर बिल्डिंग्स में विशेषज्ञता।
गुजरात:
- Modular Concepts India Pvt. Ltd.
मॉड्युलर कंस्ट्रक्शन और प्रीफैब सॉल्यूशंस में माहिर।
तमिलनाडु:
- Red Sea Housing Services India Ltd.
प्रीफैब्रिकेटेड बिल्डिंग्स और मॉड्युलर सॉल्यूशंस प्रदान करने वाली कंपनी।
कर्नाटक:
- KEF Infra
मॉड्युलर कंस्ट्रक्शन और प्रीफैब तकनीकों में अग्रणी।
तेलंगाना:
- Pennar Engineered Building Systems Ltd.
प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग्स और मॉड्युलर स्ट्रक्चर्स में विशेषज्ञता।
उत्तर प्रदेश:
- EPACK Prefab
प्रीफैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर्स और मॉड्युलर बिल्डिंग्स में माहिर।
राजस्थान:
- Interarch Building Products Pvt. Ltd.
प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग्स और मॉड्युलर कंस्ट्रक्शन सॉल्यूशंस में विशेषज्ञ।
पश्चिम बंगाल:
- Tata BlueScope Steel
प्रीफैब्रिकेटेड बिल्डिंग्स और मॉड्युलर स्ट्रक्चर्स में विशेषज्ञता।
ओडिशा:
- Kirby Building Systems India Ltd.
प्री-इंजीनियर्ड स्टील बिल्डिंग्स और मॉड्युलर कंस्ट्रक्शन में माहिर।
पंजाब:
- Jindal Prefab Private Limited
प्रीफैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर्स और मॉड्युलर बिल्डिंग्स में विशेषज्ञता।
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